राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, गवर्नर तथा 475 संस्थाओं से सम्मानित विजय सिंह मौर्य जेल अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त राष्ट्रीय जंक्शन / श्योपुर।
जब इंसान में दृढ़ संकल्प और अपने सपनों को साकार करने का हौंसला होता है तो वह इंसान एक दिन अपने मुकाम को हासिल कर ही लेता है। इस वाक्य को चरितार्थ किया है जिला जेल, श्योपुर के जेल अधीक्षक डॉ. वी.एस. मौर्य ने। उन्होंने अपने सपनों को ऐसे साकार किया कि वे युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए। विजय सिंह मौर्य अपनी मेहनत और लगन से एक आम आदमी से मध्यप्रदेश के सुप्रसिद्ध समाजसेवी बन गए। जेलर विजय सिंह मौर्य के पिता एक साधारण से व्यक्ति थे जो पढ़ाई को सबसे उत्तम मानते थे। विजय सिंह मौर्य में मेहनत और लगन से आगे बढ़ने की ज्ञिज्ञासा थी ही पंरतु जीवन में अनेक बाधाएं झेलते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचने का कार्य पूरा किया। उन्होंने इंटर पास करने के बाद वे 17 फरवरी 1982 को बतौर आरक्षक मध्य प्रदेश जेल पुलिस में भर्ती हुए और सेंट्रल जेल ग्वालियर में पहली नियुक्ति हुई ।विभागीय नियमों अनुसार 8 मई 1985 में बतौर जेल विभाग में स्थाई नियुक्ति हुई परन्तु जीवन में आगे बढ़ने की ज्ञिज्ञासा और सुनहरे सपनों ने उन्हें चैन से सोने नहीं दिया और जेल विभाग से शिक्षा प्राप्त करने की स्वीकृति हेतु आवेदन किया तो विभाग ने उन्हें तुरंत शिक्षा प्राप्ति की अनुमति प्रदान कर दी। फिर क्या था यही से शुरू हुआ डॉ.विजय सिंह मौर्य का सामाजिक कार्य ,शिक्षा तथा विभागीय पदोन्नतियों का सिलसिला। उन्होंने तुरंत बी.काम. पास किया और एम. ए. हिंदी विषय से पास करने के तुरंत बाद एम. ए. समाज शास्त्र में किया। 1995 में उन्होंने मध्य प्रदेश सिविल सर्विस जेल की परीक्षा दी और पहले प्रयास में ही एमपीपीएससी परीक्षा पास कर जेल विभाग में बतौर सहायक जेल अधीक्षक के पद पर पदोन्नति मिली। लेकिन समाज शास्त्र विषय की पढ़ाई ने उन्हें समाज से ऐसा जुड़ाव दिया कि किसी भी परिस्थिति में सामाजिक कार्यो से परहेज़ नहीं किया।
सरकारी सेवा में होते हुए जितना भी समय उन्हें मिलता वह समाजसेवा में लग जाते। चाहें मध्य प्रदेश सरकार की योजना हों या फिर भारत सरकार द्वारा जनहित में चलाई गई स्कीम हो या फिर शहीदों के बलिदान को याद करते हुए युवाओं को देशभक्ति की भावनाओं से ओत-प्रोत करने का उत्कृष्ट कार्य हो। डॉ. विजय सिंह मौर्य ने युवाओं में देशभक्ति की भावना ऐसे जागृत की कि जहां-जहां भी नियुक्ति हुई वहां वहां ही कैदी एवं युवा उनके मुरीद हो गए। उनकी एक आवाज पर समाजिक कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी हो जाती थी। विभागीय पदोन्नितयों का सिलसिला यहीं नहीं थमा,वे 2000 में डिप्टी जेलर तो 2009 में बतौर अतिरिक्त जेल अधीक्षक और 2022 में जेल अधीक्षक के पद पर पदोन्नत हुए। मौर्य जी ग्वालियर सेंट्रल जेल से कार्य प्रारंभ करके भोपाल सेंट्रल जेल, मुरैना, अशोक नगर, कोलारस, शिवपुरी,सागर और अब जिला जेल श्योपुर में सेवाएं देते हुए आज जेल अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए। डॉ. विजय सिंह मौर्य ने अपनी पहली शुरुआत नेत्र जांच शिविर आयोजित कर की।फिर जब कभी मौका मिला तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने नेत्र जांच शिविर तथा रक्तदान शिविर लगाए। कैदियों को भी साक्षरता मिशन में शामिल कर रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने समाज से दहेज प्रथा को खत्म करने व निर्धन कन्याओं की युवा सम्मेलन के जरिए दहेज मुक्त शादी करवाते हुए दहेज प्रथा एक अभिशाप है नारे के साथ जागरूक करने का उत्कृष्ट कार्य किया। उन्होंने भारत सरकार द्वारा चलाए गए पोलियो उन्मूलन अभियान में सहभागिता सुनिश्चित कर बच्चों को दवा पिलाने और युवाओं में जोश भरने का पुनीत कार्य किया। वे सन् 2002 से हर जेल में बंदियों को साक्षर कर रहे हैं। डॉ विजय सिंह मौर्य ने युवाओं को देशभक्ति की भावना पैदा करते हुए
18 अप्रैल 2005 को तात्या टोपे के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से अवगत कराया और आज 18 अप्रैल को तात्या टोपे को हर वर्ष याद किया जाता है।
2008 में वीरांगना रानी झांसी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर पहली बार शिवपुरी से ग्वालियर तक 150 युवाओं के साथ पैदल मशाल यात्रा निकाली और वीरांगना लक्ष्मीबाई को नमन किया। 2009 से शिवपुरी से झांसी तक मशाल यात्रा की शुरुआत झांसी के किले के साथ वीरांगना लक्ष्मीबाई के पार्क में 18 जून को बलिदान दिवस मनाया गया। आज झांसी में 18 जून को एक भव्य समारोह मनाया जाने लगा है। 6फरवरी
2008 से स्वतंत्रता संग्राम के महा नायक कर्नल गुरबक्श सिंह ढिल्लन के जन्मदिन पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कर शिवपुरी प्रशासन तथा युवाओं को देशभक्त कर्नल गुरबक्श सिंह ढिल्लन के जीवन और आजादी के संघर्ष से अवगत करवाया । डॉ. विजय सिंह मौर्य यहीं नहीं रुके उन्होंने2014 में देश की आन-बान शान ओर स्वतंत्रता संग्राम को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल को उनके बलिदान दिवस पर पैतृक गांव बरवई जिला मुरैना में प्रशासन के सहयोग से रामप्रसाद बिस्मिल पार्क एवं हाल तथा आदमकद प्रतिमा स्थापित करवाई । प्रति वर्ष प्रशासन के सहयोग से रामप्रसाद बिस्मिल के बलिदान दिवस पर 18 दिसम्बर को सचिवालय मुरैना से उन्हें पैतृक गांव बरवई तक मशाल यात्रा निकाल कर लोगों जागरूक करने का उत्कृष्ट कार्य किया। डॉ विजय सिंह मौर्य के सेवाकालीन एवं सामाजिक कार्यों को सम्मान देते हुए हुए भारत के राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर चार बार राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया तथा दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया और चार बार अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें 72 बार जिला कलेक्टरों द्वारा सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त है। डॉ. विजय सिंह मौर्य को मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों की संस्थाओं ने उनके द्वारा किए गए जनहित कार्यों हेतु अनेकों बार सम्मानित किया। डॉ. विजय सिंह मौर्य मध्य प्रदेश के इकलौते व्यक्ति हैं जिन्हें 39 वर्ष की सेवा के दौरान 475 बार सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इन्हीं सम्मानों को मध्य नजर रखते हुए मई 2024 में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड दर्ज कर सम्मानित किया गया।
यहां यहां से मिला सम्मान ---
चार बार राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित और चार बार अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड,दो बार मुख्यमंत्री से सम्मानित,दो बार गवर्नर तथा 475 संस्थाओं से सम्मानित हो चुके विजय सिंह मौर्य।
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