हवन की राख को पानी में ना बहाएं : महेन्द्र नदियों, नहरों व जलाशयों में मूर्ति बहाना है अंधविश्वास राष्ट्रीय जंक्शन / सोनीपत।
वैदिक प्रवक्ता पं. महेन्द्र कुमार शास्त्री ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान आयोजित करने पर हवन की राख को पानी में बहाना बिल्कुल गलत और कोरा पाखंड है। इससे जल प्रदूषण होता है। वह जल पीने योग्य नहीं रहता। सभी प्राणियों के जीवित रहने के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता है। इसलिए यज्ञ की राख को बहते पानी में डालने की बजाय अपने खेत या पेड़-पौधों में डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त घर में रखी देवी-देवताओं की मूर्तियों को नदियों, नहरों व जलाशयों में डालना घोर अंधविश्वास है। इससे बचना चाहिए। वे वीरवार को स्थानीय काठ मंडी स्थित आर्य समाज द्वारा संचालित आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में चल रहे यजुर्वेद पारायण महायज्ञ के तीसरे दिन उपस्थित जन समुदाय को संबोधित कर रहे थे।
महायज्ञ में कुलदीप राठी-ललिता, शक्ति सिंह-बबीता, अमित कुमार-मंजू, बलजीत सिंह-निधि, राहुल-ऋता, मोहित छिक्कारा-ऋतु, संजीव खत्री-सीमा, आनन्द कुंडू-बबीता व राकेश राणा यजमान बने। महेन्द्र कुमार शास्त्री ने बतौर ब्रह्मा कहा कि यजुर्वेद में उपदेश है कि सभापति या राजा को न्याय के आसन पर बैठकर धर्मयुक्त निर्णय लेना चाहिए जिससे पात्र को इंसाफ मिल सके। न्याय के आसन पर बैठने वाले व्यक्ति को कभी भी पक्षपात नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को विद्या प्राप्त करके धर्म से पवित्र हुई वाणी बोलनी चाहिए। किसी के प्रति भी ईर्ष्या और द्वेष युक्त भाषा नहीं बोलें क्योंकि यह धर्म के विरुद्ध है। आर्य समाज के पूर्व प्रधान कपिल देव, पूर्व मंत्री प्रताप सिंह शास्त्री तथा प्रधानाचार्य नरेन्द्र सिंह ने दीप प्रज्वलन किया और यजमानों को स्मृति चिह्न भेंट किए। इस अवसर पर बलजीत सिंह, जयसिंह दहिया, चाँद सिंह, मंजू, नीलम, वर्षा, सीमा, सतेन्द्र, जसबीर, दिलावर, दिनेश आदि भी मौजूद रहे।
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